सब कुछ बदल गया है
वर्षों से मैं
कहती रही
और तुम सुनते रहे
।
आज तक तू ने
कोई उत्तर नहीं
दिया
मेरे सवाल का ।
मैं सवाल पर सवाल
करती रही
और तुम नजर-अंदाज़
करते रहे ।
मैं तड़पती रही
तेरे एक मुसकान के
लिए ।
पर तू ने मुझे
निहारा तक नहीं।
करते रहे जीवन भर
मेरा तिरस्कार पर
तिरस्कार ।
अब तेरी आँखें बंद
होने को आई
तब मेरी याद आई...
अब तो मुझे कुछ
दिखता ही नहीं
कैसे से देख पाऊँ
तेरी मुसकान को
कुछ चाहत ही नहीं
रही
कैसे पूरा करुँ
अरमान को।
सब कुछ मिट गया है
तुम भी मिटा दो
मेरे नाम को।
अब समय के साथ
सब कुछ बदल गया है
No comments:
Post a Comment