Tuesday, March 19, 2013

मौत का अहसास



मौत का अहसास
मैं, हर पल
अपने सामने खड़ी देखता हूँ उसे
बिल्कुल समीप, बहुत ही करीब
देखने में मेरी तरह, पर अजीब
एक दिन--
मैंने उससे पूछा,
क्यों करती हो मेरा पीछा
वह हँसी--
मैं नहीं करती तेरा पीछा
मैं तो तेरे साथ चल रही हूँ
जब से तू जन्मा है--
तभी से हूँ तेरे साथ
और रहूँगी तबतक
जबतक तू मेरे भीतर समा जाता।
पचास वर्ष सात महीने और तेइस दिन
उस रात मैं अकेला था
मुझे लगा कोई नही आसपास
मैं डरा, सहमा, और
नींद की गोलियाँ खा ली
मुझे याद है रात के दो बजे थे
घड़ी की टिक टिक सुनाई दे रही थी
और मैं दर्द से कराह रहा था।
वह मुस्कुरा रही थी-
मुझे और करीब बुला रही थी।
मेरे सामने उसका
आकार बढ़ता गया-और मै
उसमें समाता गया।
फिर एक पल में
मैं उसमें विलीन हो गया
फिर तो न मैं था
और न वह थी।।।
--
डॉ. अकेलाभाइ, पूर्वोत्तर हिंदी अकादमी, शिलांग 793006, akelabhai89@yahoo.com

सब कुछ बदल गया है



सब कुछ बदल गया है
वर्षों से मैं कहती रही
और तुम सुनते रहे ।
आज तक तू ने
कोई उत्तर नहीं दिया
मेरे सवाल का ।
मैं सवाल पर सवाल करती रही
और तुम नजर-अंदाज़ करते रहे ।
मैं तड़पती रही
तेरे एक मुसकान के लिए ।
पर तू ने मुझे निहारा तक नहीं।
करते रहे जीवन भर
मेरा तिरस्कार पर तिरस्कार ।
अब तेरी आँखें बंद होने को आई
तब मेरी याद आई...
अब तो मुझे कुछ दिखता ही नहीं
कैसे से देख पाऊँ तेरी मुसकान को
कुछ चाहत ही नहीं रही
कैसे पूरा करुँ अरमान को।
सब कुछ मिट गया है
तुम भी मिटा दो मेरे नाम को।
अब समय के साथ
सब कुछ बदल गया है





दर्द का रिश्ता

दर्द का रिश्ता
मेरा दर्द
उसका भी है
और तेरा भी.....
दर्द तो बस दर्द है
चाहे जिसका भी हो ।
मेरे दर्द को
तुम नहीं समझ सकते
और तेरे दर्द को मैं ।
मेरा दर्द तुम कम नहीं कर सकते
और तेरे दर्द को मैं ।
मेरे और तुम्हारे दर्द का क्या रिश्ता है
हम कभी समझ नहीं सकते ।
मेरा दर्द तेरे दर्द से बड़ा है—
ऐसा मैं समझता हूँ
और तेरा दर्द मेरे दर्द से बड़ा है
ऐसा तुम समझते हो ।
लेकिन दर्द तो बस दर्द है
चाहे तेरा हो या मेरा
या उसका ।
हमें अपने दर्द से है प्यार
तुझे भी है अपने दर्द से प्यार
तभी हम अपने-अपने
दर्द को ढो रहे हैं
बिना किसी से बदले ।
हम न तो बदल सकते हैं
और न इसे फेंक सकते हैं
क्योंकि सभी को है
अपने दर्द से एक रिश्ता
उसके साथ जीने का और मरने का